SpadeX Mission सफल, ऐसा करने वाला भारत बना दुनिया का चौथा देश

0
20

SpadeX Mission: इसरो ने एक बार फिर देश का सर गर्व से ऊंचा किया है। इसरो एक बार फिर एक नई उपलब्धि लेकर आया है। SpadeX Mission सफल हो चुका है। अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक satellite docking प्रयोग को पूरा किया है। और भारत ये करने वाला दुनिया का चौथा देश बन चुका है। जी, भारत से पहले दुनिया के मात्र तीन देश ही satellite docking प्रयोग करने में सफल रहे हैं।

क्या है ये SpadeX Mission?

Satellite Docking क्या होता है? क्या मायने हैं इस उपलब्धि के? 30 December 2024 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसरो ने launch किया SPADEX Mission। इस मिशन का पूरा नाम है Space Docking Experiment Mission। इस मिशन के तहत PSLV-C60 नाम का रॉकेट दो प्रमुख पेलोड्स या satellites SDX01 जिसे chaser भी कहते हैं और SDX 02 जिसे target भी कहा जाता है, लेकर निकल लिया अंतरिक्ष की ओर। इन दो उपग्रहों के अलावा 24 अन्य उपग्रह भी थे लेकिन पूरे मिशन का केंद्र तो chaser और target ही थे।

धरती से करीब 470 किलोमीटर की ऊंचाई पर 28,800 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से चल रहे इन दो उपग्रहों को अब एक करना था, जोड़ना था। जी, यही प्रयोग है पूरा। और इसी कार्य को docking कहा जाता है। Docking का मतलब है किन्हीं दो उपग्रहों को एक ही कक्षा में स्थापित करना और फिर उन्हें एक दूसरे के साथ जोड़ देना। और इनका कंट्रोल 470 किमी दूर धरती पर ISTRAC यानि ISRO Telemetry Tracking and Command Network बैंगलुरू से कर रहा है।

28,800 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार वाले इन दो उपग्रहों की relative velocity यानि एक दूसरे के सापेक्ष में जो गति है उसको 0.036 किलोमीटर प्रति घंटा पर लाया गया फिर उसके बाद docking प्रक्रिया पूरी हुई। मिशन का पहला चरण 12 जनवरी को पूरा किया गया जब दोनों उपग्रहों को एक-दूसरे के 3 मिटर के करीब लाया गया। और अंततः 16 जनवरी को SpadeX Mission ने chaser और target को जोड़ कर पूर्ण सफलता प्राप्त की और भारत को ऐसा करने वाले देशों की सूची में चौथे स्थान पर खड़ा कर दिया।

महत्व क्या है SpadeX Mission का? क्यों हमने अपने दो उपग्रहों को 470 किलोमीटर की ऊंचाई पर भेज दिया और फिर उन्हें जोड़ कर दिखाया?

सबसे पहला महत्व है कि कोई सैटेलाइट या उपग्रह यदि पहले से अंतरिक्ष में हो और उसमें कुछ गड़बड़ी हो जाए या उसके किसी हिस्से को अलग करना पड़े तो docking प्रक्रिया उसमें सहायक होगी।

दूसरा मानव युक्त अभियान के लिए docking और Undocking की प्रक्रिया बहुत महत्वपूर्ण है। भारत आने वाले समय में अंतरिक्ष में और चांद पर मनुष्य को भेजने की तैयारी कर रहा है।

तीसरा भारत अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन बनाने की प्रक्रिया में है जो बिना docking और Undocking की सहायता से सम्भव नहीं है। हम कब से कह रहे हैं कि भारत चौथा देश बन गया है इस उपलब्धि को अर्जित करने वाला। तो ये पहले तीन देश कौन हैं?

पहला देश है – USA। USA ने ये कारनामा बहुत पहले 1966 में ही कर दिखाया था। दूसरे नम्बर पर आता है USSR जिसने docking प्रक्रिया में दक्षता 1967 में हासिल कर ली थी। और तीसरे नम्बर पर है हमारा पड़ोसी चाइना जिसने 2011 में docking प्रकिया को सफलतापूर्वक करके दिखाया था।

Read Also:-